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Haathi Mere Saathi (1971)

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  • Release Date1971
  • GenreDrama
  • FormatColor
  • LanguageHindi
  • Run Time170 min
  • Length4722.58
  • Number of Reels18
  • Gauge35mm
  • Censor RatingU
  • Censor Certificate Number65863
  • Certificate Date29/04/1981
  • Shooting LocationVauhini
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“हाथी मेरे साथी” एक ऐसे इनसान की कहानी है, जिसकी नज़रों में जानवर जानवर नहीं, बल्कि इनसानों से बढ़कर है और जिनसे वह इतना प्यार करता है जितना कोई अपने मित्र से, अपने भाई से या अपने स्वजन से करता हो!

वह है राजू, एक रईस बाप का इकलौता बेटा, जिसकी जान बचपन में एक चीते के हमले से चार हाथियों ने बचाई थी। तब से वे हाथी उसकी ज़िन्दगी का एक हिस्सा बन गये! उन्हीं के साथ वह पला और बड़ा भी हुआ।

अचानक भाग्य का चक्र दिशा बदलता है और राजू यकायक ग़रीब हो जाता है। उसके घरबार, ज़मीन-जायदाद सब उसके कर्ज़दार छीन लेते हैं। मगर उस हालत में भी वह उन हाथियों का साथ नहीं छोड़ता और बहुत बड़ी क़ीमत मिलने पर भी उन्हें बेचने से इनकार कर देता है।

राजू का, एक अमीर बाप की बेटी तनु से प्यार है। जब बाप को यह मालूम होता है कि राजू के पास दरदर की ठोकरें खाने के सिवा कोई चारा नहीं है तो वह तनु को मिलने आये हुए राजू को दरवाज़े से ही निकाल देते है और बेटी से झूठ बोल देता है कि राजू बहुत बड़े दहेज के लालच में आकर किसी अमीर लड़की से शादी करने बम्बई चला गया है।

एक दिन संयोगवश तनु राजू को सड़कों पर मज़दूरी करते हुए देख लेती है। घर आकर वह बाप से लड़ पड़ती है कि वे क्यों उससे झूठ बोले और धोखा किया? जब बाप सख्ती बरतता है तो वह घर छोड़कर राजू को ढूंढते हुए उसके पास चली जाती है।

राजू, तनु और हाथियों की मदद से और खुद की मेहनत से बहुत जल्दी प्रगति करता है और फिर अमीर बन जाता है। तनु का बाप उसे अपना दामाद स्वीकार करता है और बड़ी धूमधाम से बेटी की शादी मनाता है।

प्यार में तनु और राजू के दिन ऐसे बीतते हैं जैसे पल बीतते हैं। जब तनु माँ बनती है तो उनकी ज़िन्दगी में और रोनक आ जाती है।

और राजू का खास चहेता हाथी “रामू” तो बच्चे से इतना प्यार करने लगता है कि वह दिनरात उसके साथ खेलता रहता है, उसका पालना झुलाता है और उसकी हर तरह से देखभाल करता है।

एक दिन तनु कहीं अस्पताल में महावत का एक बच्चे देख लेती है, जिसका सर खुद महावत के हाथी ने कुचल डाला। बस, तब से उसके दिल में हाथियों के प्रति घृृणा सी पैदा हो जाती है। उसके दिमाग में यह बात ठस जाती है कि राजू का हाथी रामू भी एक न एक दिन उसके बच्चे को मार डालेगा।

राजू और उसके बीच इस बात को लेकर एक संघर्ष खड़ा हो जाता है। दोनों में मनमुटाव हो जाता है और तनु घर छोड़कर चली जाती है।

पति पत्नी का फिर मिलाप कराने के लिए “रामू” किस तरह जी तोड़ कोशिश करता है-यही “हाथी मेरे साथी” चित्र का दिलचस्प रोमांचक भाग है जिसे आप पर्दे पर देखकर विस्मित रह जायेगा।

[From the official press booklet]